UP Bed 2024 News In Hindi: B.Ed करने के बाद सरकारी नौकरी मिलेगी या नहीं मिलेगी इसका डर ऐसा है कि लोगों को इस कोर्स में करने का बिल्कुल भी मोह नहीं है इस कोर्स से बिल्कुल ही मोह भंग हो गया है उत्तर प्रदेश B.Ed प्रवेश परीक्षा 2024 में पिछले कई सालों की तुलना में आधे से भी कम आवेदन प्राप्त हुए हैं जितने भी लोगों ने फॉर्म भरे हैं इतने लोगों से ज्यादा तो उत्तर प्रदेश में B.Ed की सीटें हैं।
सरकारी नौकरी की उम्मीद को कम देखते हुए बीएड की पढ़ाई से छात्रों का मोह भंग हो चुका है और यह साफ दिखाई दे रहा है बीएड के दाखिले में इस साल केवल दो लाख के आसपास आवेदन प्राप्त हुए हैं उत्तर प्रदेश में B.Ed की कुल सीटों की संख्या से भी बहुत कम है पिछले साल सीटों पर कुल सीटों के मुकाबले दुगने आवेदन प्राप्त हुए थे इससे पहले बीएड सीटों के सापेक्ष 3 गुना आवेदन प्राप्त हुए थे लेकिन इस बार तो सीटों के बराबर भी आवेदन फॉर्म नहीं भरे गए हैं।
UP B.ed 2024 में ऐसे कम हुए आवेदन
पिछले दो दशकों में उत्तर प्रदेश में B.Ed की पढ़ाई का क्रेज बहुत तेजी से बड़ा था और नए-नए कॉलेज भी खुल गए थे वर्तमान में 2500 से अधिक बीएड के कॉलेज हैं जिसमें ढाई लाख से अधिक सीटें हैं इतनी सीटें होते हुए भी दाखिलों के लिए बहुत मारामारी होती थी सीटों के मुकाबले तीन गुना तक आवेदन प्राप्त हो जाते थे लेकिन इस बार आवेदन फार्म का टोटा पड़ गया है 2021 में सीटों की संख्या 2.51 लाख थी और कुल आवेदन 5.91 लाख प्राप्त हुए थे 2022 में 2.25 लाख सीटों की संख्या थी और 6.67 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे वहीं 2023 में 2.45 लाख सीटों की संख्या थी और जिसके सापेक्ष 4.74 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे 2024 में 2.45 लाख सीटों की संख्या है और जिसके सापेक्ष केवल 2.3 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं।
क्या है B.Ed के प्रति मोह भंग का कारण
उत्तर प्रदेश में B.Ed करने को लेकर छात्रों में बिल्कुल भी उत्साह नहीं है पहले B.Ed करने के बाद उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने का मौका मिलता था जिसके कारण B.Ed करके प्राथमिक शिक्षक भर्ती में आवेदन करके शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर सकते थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के कारण सभी बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर कर दिया था जिसके कारण बीएड अभ्यर्थी अप्रत्यामिक शिक्षक भर्ती में आवेदन फॉर्म नहीं भर सकते हैं।
बता दें उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में ही सबसे अधिक पद रिक्त हैं और सबसे अधिक शिक्षक भर्ती प्राथमिक विद्यालयों में ही निकाली जाती है इसके अतिरिक्त हायर सेकेंडरी लेवल पर बहुत कम भर्ती देखने को मिलती हैं और आती भी हैं तो उनके बीच तगड़ा कंपटीशन देखने को मिलता है माध्यमिक सेवा चयन बोर्ड 2011 के बाद से कोई भी भर्ती नहीं कर सकता है निजी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड की अहर्ता को शक्ति से लागू नहीं किया जाता ऐसे में हर तरफ नौकरी की उम्मीद कम हो गई है अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राथमिक शिक्षक भर्ती से B.Ed को बाहर करने के बाद छात्र B.Ed नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें B.Ed करने के बाद नौकरी न मिलने का डर सता रहा है।
बीएड की प्राथमिक स्कूलों में भर्ती
B.Ed शुरू से ही कई स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य अहर्ता रही है वहीं बीटीसी अर्थात डीएलएड कक्षा 1 से 5वी तक पढ़ने के लिए योग्यता निर्धारित की गई है।
जब बीटीसी करने वाले नहीं थे तब राज्य सरकारों द्वारा नियम बनाकर बीएड वालों को ही बेसिक शिक्षक के लिए योग्य मानकर भर्ती की जाती थी इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा भी अनुमति दे दी जाती थी लेकिन शर्त यही होती थी कि बीएड वालों को 6 महीने की विशेष बीटीसी की ट्रेनिंग देकर शिक्षक बनाया जाएगा।