UP Madarsa Education News: उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को हाई कोर्ट द्वारा असवैधानिक घोषित कर दिया गया है कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को बोर्ड अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ मानते हुए संवैधानिक घोषित किया है कोर्ट ने इस पूरे एक्ट को ही असवैधानिक घोषित किया है इस एक्ट का कोई भी भाग संवैधानिक नहीं माना है अब इस मदरसा स्कूल में पढ़ने वाले हजारों बच्चों को दूसरे सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा जिसका आदेश हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है।
कोर्ट ने 8 फरवरी को फैसला किया था रिजर्व
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उत्तर प्रदेश के मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित कर लिया था बता दे मदरसा बोर्ड के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौड़ द्वारा याद का दायर की गई थी अंशुमान ने मद्रास का प्रबंधन शिक्षा विभाग के बजाय अल्पसंख्यक विभाग से किए जाने को लेकर याद का दायर की थी 8 फरवरी को सुनवाई करते हुए न्यायालय द्वारा इस याचिका के फैसले को सुरक्षित कर लिया गया था।
मदरसा एक्ट समानता के अधिकार का उल्लंघन
हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश का मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 और 15 जिसे सामान्य का अधिकार कहा जाता है तथा आर्टिकल 21 है जैसे शिक्षा का अधिकार कहा जाता है इन दोनों के ही खिलाफ है भारत के किसी भी राज्य के पास यह अधिकार बिल्कुल नहीं है कि वह किसी विशेष समुदाय या धर्म के लिए धार्मिक आधार पर शिक्षा संस्थान का निर्माण करें।
न्यायालय ने कहा बच्चों को मदरसा की शिक्षा तक रोकना असंवैधानिक
न्यायालय द्वारा धार्मिक तर्ज पर बने शिक्षा संस्थानों के जरिए मदरसा बोर्ड ने बच्चों की शिक्षा को लेकर भेदभाव माना है कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक तर्ज पर बने यह शिक्षा संस्थान बच्चों की शिक्षा को लेकर भेदभाव कर रहे हैं कोर्ट ने कहा है कि सभी धर्म के बच्चों को प्रत्येक विषय में शिक्षा पाने का अधिकार है केवल विशेष धर्म के लोगों को मदरसे की शिक्षा तक बिल्कुल नहीं रोका जा सकता है ऐसा करना संविधान के आर्टिकल 21ए का उल्लंघन है आर्टिकल 21 से 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने को लेकर है।
सभी मदरसा के बच्चों का होगा सरकारी स्कूल में ट्रांसफर
हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को मद्रास में पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है न्यायालय द्वारा कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार सभी बच्चों का ट्रांसफर मान्यता प्राप्त सरकारी स्कूलों में किया जाए साथ ही यह भी कहा है कि प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड या हाई स्कूल इंटरमीडिएट एजुकेशन बोर्ड के साथ इन सभी विद्यार्थियों का पंजीकरण कराया जाए साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा है कि सरकार 6 वर्ष से लेकर 14 साल तक के बच्चों को सभी बच्चों को स्कूली एडमिशन देने की जिम्मेदारी भी तय की गई है अर्थात इन सभी बच्चों को एडमिशन दिया जाए।
सरकार द्वारा बनाए गए थे संस्कृत और मदरसा बोर्ड
2004 में सरकार द्वारा ही मदरसा एजुकेशन एक्ट बनाया गया था इसी तरह उत्तर प्रदेश में संस्कृत भाषा परिषद भी बनाई गई थी दोनों ही बोर्ड का मुख्य उद्देश्य अरबी फारसी और संस्कृत जैसी भाषाओं को बढ़ावा देना था कोर्ट द्वारा 20 साल बाद मदरसा एजुकेशन एक्ट को असवैधानिक घोषित कर दिया गया है।
हजारों शिक्षक हो जाएंगे बेरोजगार
सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा के टीचर इस फैसले के बाद बेरोजगार हो जाएंगे क्योंकि यह कानून रद्द होने के बाद यह सभी शिक्षक मद्रास में नहीं पढ़ पाएंगे उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 25000 से अधिक मदरसे हैं इनमें से 17000 मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त किए हुए हैं साथ ही 8 हजार मदरसे बिना मान्यता प्राप्त भी चल रहे हैं।